PRAGYA
Saturday, November 24, 2012
अमृत समझ जहर का प्याला पी लेते हैं
लोग ।
सुविधाओं को ख़ुशी मानकर जी लेते हैं
लोग ।
नादानी तो सही मगर कुछ जानबूझकर भी
,
सत्य बोलने से होठों को सी लेते
हैं लोग ।
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