Saturday, November 24, 2012


चलो किसी पर, निशाना करते हैं |
चकनाचूर कोई, आशियाना करते हैं |
शायर नहीं कि दर्द देखें, ज़माने का ,
तख्तो-ताज़ हैं हम,मनमाना करते हैं |



आग से प्यार जो भी करेगा ,
ये सही है झुलस कर मरेगा ।
पर अँधेरों  की सत्ता मिटाकर ,
रोशनी भी वहीं तो करेगा ।
............डॉ मनोज कुमार सिंह 




अमृत समझ जहर का प्याला पी लेते हैं  लोग ।
सुविधाओं को ख़ुशी मानकर जी लेते हैं   लोग ।
नादानी तो सही मगर कुछ जानबूझकर भी ,
सत्य बोलने से होठों को सी लेते  हैं  लोग ।




डर्टी -डर्टी पिक्चर देखा ,सत्ता में तो अक्सर देखा ।
विश्वासों के पुनीत हस्त में फूल सरीखा पत्थर देखा ।
घोषित है खुश हाल आदमी ,गज़ट-बज़ट  के पन्नों में ,
सडकों पर बदहाल आदमी ,जीता है हँसकर देखा ।
भरी अदालत सच बोला था ,तब से उसका पता नहीं ,
वो भी तो बर्बाद हो गए ,जिसने वो मंज़र देखा ।
आसमान तक पहुँचा था ,नादान परिंदा बसने को ,
आप बताएं आसमान का  ,अब तक कोई घर देखा ।