डर्टी -डर्टी पिक्चर देखा ,सत्ता में तो अक्सर देखा ।
विश्वासों के पुनीत हस्त में फूल सरीखा पत्थर देखा ।
घोषित है खुश हाल आदमी ,गज़ट-बज़ट के पन्नों में ,
सडकों पर बदहाल आदमी ,जीता है हँसकर देखा ।
भरी अदालत सच बोला था ,तब से उसका पता नहीं ,
वो भी तो बर्बाद हो गए ,जिसने वो मंज़र देखा ।
आसमान तक पहुँचा था ,नादान परिंदा बसने को ,
आप बताएं आसमान का ,अब तक कोई घर देखा ।