Friday, October 4, 2024

मनोज के गीत

∆ गीत ∆

आज देश के गद्दारों की  सबसे  खास निशानी है।
वन्देमातरम्!कहने में मर जाती उनकी नानी है।।

भारत तेरे टुकड़े होंगे,उनको रास बहुत आता।
दुश्मन देशों से उनका है,सच मानो गहरा नाता।
सेना को गाली देते हैं,आतंकी से प्यार करे,
भारत की गर्दन झुक जाए,उनके मन को है भाता।
कोई चीनी चमचा,कोई दिल से पाकिस्तानी है।

संविधान कानून नहीं कुछ उनकी शरियत के आगे।
है मिसाल कश्मीर जहाँ से कश्मीरी पंडित भागे।
बहू-बेटियों की इज्जत को सरेआम नीलाम किया,
फिर भी भारतवासी सोए ,नहीं ये वर्षों तक जागे।
भूल गया अपमान शीघ्र जो  कैसा हिन्दुस्तानी है?

कदम-कदम पर जाल बिछाए,देशद्रोहियों की टोली।
विश्वासों पर नित्य मारते  छिप-छिपकर खंजर,गोली।
भ्रम फैलाते कालनेमि ये छद्मवेश धारण करके,
समझ न पाती सच्चाई को भारत की जनता भोली।
इसीलिए भारत में चलती असुरों की मनमानी है।

जातिवाद,जेहाद मज़हबी हथियारों के सौदागर।
राष्ट्र एकता के तारों पर चोट मारते हैं पामर!
कोई कहता है दे दो बस केवल पन्द्रह मिनट हमें,
नदी खून की बहवाएँगे भारत की इस धरती पर।
यह सुनकर भी जो ना जागे उसकी व्यर्थ जवानी है।

देशद्रोहियों के कैसेट में बजता नित ये गाना है।
इंद्रा को निपटाया हमने,मोदी को निपटाना है।
लालकिले पर देखा सबने अपना झंडा फहराया,
लक्ष्य यही है मौका मिलते,फिर झंडा फहराना है।
देशवासियों सुनो गौर से नारा खालिस्तानी है।

वीरों की धरती पर ये सब कभी पनपने ना पाएँ।
भारतमाता की जय बोलें,वन्देमातरम् नित गाएँ।
घर-घर जाकर गाँव शहर गलियों में औ चौराहों पर,
मातृभूमि के गद्दारों की साजिश सबको समझाएँ।
बच्चा-बच्चा भारत-भू का सदियों से बलिदानी है।

यह दधीचि,शिवि,राणा, कुँवर,बिस्मिल की है धरती।
समय-शिला पर शौर्य लेखनी से है हस्ताक्षर करती।
राम,कृष्ण को करे अवतरित धर्म हानि जब-जब होती,
मातृभूमि वीरों से  शोभित अपनी कोंख सदा भरती।
भारतमाता बस उनकी, जिनकी आँखों में पानी है।

                               ●-/   डॉ मनोज कुमार सिंह

∆चेतावनी गीत∆

खालिस्तानी,पंचरछापो! सुन लो मेरी बात,तेरी ऐसी की तैसी।
मौका मिलते देश ये मारेगा पिछवाड़े लात,तेरी ऐसी की तैसी।

जहर घोलना काम तुम्हारा ,
विष उतारना मेरा।
घोर तमस में देश डुबाना 
लक्ष्य रहा है तेरा।
जोर लगा ले जितना चाहे,
सूकर की औलादों!
शीघ्र उजड़ने वाला है अब 
तेरा रैनबसेरा।
शठे-शाठ्यम् की भाषा में 
शीघ्र देखना तुमको,
राष्ट्रभक्त जनता बतलाएगी तेरी औकात,तेरी ऐसी की तैसी।।
मौका मिलते देश ये मारेगा पिछवाड़े लात,तेरी ऐसी की तैसी।

छिपकर वार किया करते हो? 
कायर हो तुम मन से।
कदम -कदम पर धोखा करते 
जनता और वतन से!
दहशतगर्दी अल्पायु है 
इतना तुम्हें बता दूँ,
मिटा दिए जाओगे तुम 
भारत-भू के कण -कण से।
बचा न पाएँगे द्रोही 
तेरे संरक्षक तुमको,
देश आज पहचान गया है गद्दारों की जात,तेरी ऐसी की तैसी।।
मौका मिलते देश ये मारेगा पिछवाड़े लात,तेरी ऐसी की तैसी।।

तेरे जैसे लाखों आए,
हमको यहाँ मिटाने।
संघर्षों में खड़े रहे  हम 
निशदिन सीना ताने।
मुँह की खाकर लौट गए 
वे देकर अपनी बेटी,
आए थे जो देश लूटने 
लेकर कई बहाने।
नहले पर दहला देना अब 
हम भी सीख गए हैं,
कुछ भी कर लो साजिश अपनी खाओगे बस मात,तेरी ऐसी की तैसी।।
मौका मिलते देश ये मारेगा पिछवाड़े लात,तेरी ऐसी की तैसी।।

                               ●-/ डॉ मनोज कुमार सिंह