Wednesday, January 26, 2011
मेरी हँसी और तुम्हारी हँसी
मेरी हंसी और तुम्हारी हंसी में
मैं हँसता हूँ
सिर्फ तुम्हारे लिए मेरे बच्चे
क्योंकि तुम हँसते हो
तुम्हारी हंसी
ईश्वर की नियामत है
जिसके बदौलत
आज भी दुनिया सलामत है
मैं डरता हूँ
कि तुम कभी भी
मेरी तरह मत हंसना
तुम अपनी हंसी हँसना
मेरे हृदय के टुकड़े
मैं भी तुम्हारी तरह ही
हँसता था
अचानक अपनी तरह से
हंसने लगा
बिल्कुल आज कि हंसी भांति
कि हँसना मज़बूरी है
मेरी हंसी और तुम्हारी हंसी में
कितनी दूरी है
कि मुझे हंसने में
दाँत दिखाना बहुत -बहुत
जरुरी है 1
Subscribe to:
Posts (Atom)